आपातकालीन सेवा मज़ेदार कहानी
कल रात शर्मा जी बगल के एक शहर से अकेले , अपनी कार से घर वापस लौट रहे थे....
तभी रास्ते में पड़ने वाली एक सुनसान घाटी में उनकी कार अचानक पंचर हो गई ।
शर्मा जी ने अपनी कार किनारे खड़ी की और टायर बदलने के लिए जैसे ही डिग्गी खोली तो उनके होश ही उड़ गए ......
वहाँ स्टेपनी तो थी ही नहीं
वो बेहद चिंता में सोच रहे थे कि अब क्या करें...
तभी.....
चाँद की रोशनी में उनकी नजर सामने लगे एक साइन बोर्ड पर पड़ी , उसपर लिखा था......" आपतकालीन सेवा " और उसके नीचे एक मोबाइल नम्बर भी लिखा था ...
ये देख उनकी तो जैसे जान में जान आई , उन्होंने तुरन्त नम्बर डायल किया...
उधर से एक सुरीली आवाज आई 'कहिये , हम आपकी क्या सेवा कर सकते हैं '
शर्मा जी ने अपनी पूरी राम कहानी उसे सुनाई ।
वह बोली... आप बिलकुल भी चिंता न करें,हम अभी इंतजाम करते हैं ......आप आराम से कार में ही बैठें , वहाँ से कहीं जाइयेगा मत......क्योंकि .......बाहर खूँखार जंगली जानवर घूमते हैं.....!
लगभग पांच मिनट बाद एक बाइक शर्मा जी के बगल में आकर रुकी .....
उसपर से दो काले कलूटे मुस्टंडे उतर कर उनके पास आये और उनकी कनपटी पर "कट्टा" सटाकर बोले....जितना भी माल है सब निकाल दो .....
उन्होंने घबरा कर सबकुछ दे दिया औऱ डरते डरते पूछा "जी आप लोग कौन" ?
वो मुस्करा कर, चांदनी रात में अपने सफेद से पीले हो चुके दांत चमकाकर बोले ...... हम..
."आपतकालीन सेवक " ........!!
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